लेखनी कहानी -19-Jul-2022..... मानसून स्पेशल...बरसातकी रात..
बरसात की रात... भाग
वर्तमान समय.....
रुही..... रुही..... रुही बेटा..... दरवाजा तो खोल बेटा....। हे बांकेबिहारी..... दरवाजा क्यूँ नहीं खोल रहीं ये...।
कुछ मिनटों तक गुहार लगाने के बाद भी जब रुही ने दरवाजा नहीं खोला तो कान्ता भागती हुई पड़ोस के कुछ लोगों को बुला लाई....।
तुरंत ही चार पांच पड़ौसी आए और उन्होंने दरवाजा तोड़ दिया...।
भीतर देखा तो रुही खिड़की पर सिर टिकाए बेहोश पड़ी हुई हैं...।
कान्ता तेज कदमों से उसके पास गई....। रुही पर पानी के कुछ छींटे मारे और उसके मुंह में थोड़ा पानी डाला...। कुछ देर की मशक्कत के बाद रुही को होश आया...।
कांता ने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया ओर उन्हें वापस जाने को कहा...।
रुही की ये हालत पहली बार नहीं हुई थीं.. । पिछले दो सालों से लगभग हर महीने रुही के साथ ऐसा होता रहता था....और बारिश के मौसम में तो कुछ ज्यादा ही....।पड़ौस के सभी लोग इस बात से वाकिफ थें.... इसलिए उन सभी का उस वक्त वहाँ से चले जाना ही सही था.... क्योंकि रुही उन्हें देखकर ओर भी ज्यादा परेशान हो सकती थीं...।
ये सब क्यूँ और क्या हो रहा था.... ये उस इलाके में रहने वाला बच्चा बच्चा जानता था...।
कान्ता ने रुही को सहारा देते हुवे खिड़की से दूर किया.... क्योंकि बाहर आज भी बहुत तेज़ बारिश हो रहीं थीं... ओर रुही की ये हालत इसी बारिश की वजह से हुई थीं...। कान्ता ये अच्छे से जानती थीं... इसलिए उस वक्त रुही को उससे दूर करने में ही समझदारी थीं...।
कान्ता ना सिर्फ रुही की इस हालत से हार गई बल्कि उस पर तो दो वर्ष पहले दोहरा घात हुआ था.... उससे वो खुद भी अभी तक नहीं संभली थीं... लेकिन बेटी की ऐसी हालत ने उसे खुद को रोने का मौका ही नहीं दिया था....।
कहते हैं एक माँ से बड़ा कोई योद्धा नहीं होता....। कान्ता इसका जीता जागता उदाहरण थीं....।
आज इस बारिश को देखकर कान्ता भी सोच रहीं थीं..... एक समय ऐसा भी था जब रुही खिड़की पर नजरें टिकाकर बारिश की राह देखतीं रहतीं थीं..। उस वक्त मैं ही उसे टोकती रहतीं थीं...। आज भी मैं ही उसे उस नजारे से दूर कर रहीं हूँ...। रुही को बिस्तर पर लिटाते वक्त उसकी आँखों से भी आज आंसू की धार बह गई....।
उसकी आँखों के सामने दो वर्ष पूर्व का हुआ घटनाक्रम घुमने लगा...।
दो वर्ष पूर्व......
मम्मा..... मैं कालेज जा रहीं हूँ.....। मम्मा कहाँ हो यार...!
अरे क्यूँ चिल्ला रहीं हैं.. सुन लिया मैने....। कांता रसोई घर में से ही चिल्ला कर बोली...।
रुही रसोई घर में जाकर पीछे से अपनी माँ को गले लगातीं हैं ओर कहतीं हैं :- क्या बात हैं माय स्वीट हार्ट.....आज मूड इतना उखड़ा हुआ क्यूँ हैं.... डैड से फिर झगड़ा हुआ क्या..!!
तुझे क्यूँ इतनी पंचायती हैं... तु जा ना अपने कालेज...।
ओहहहो.... इतना अपसेट... जरूर बात कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं..। क्या हुआ बता मुझे...।
ये हम पति पत्नी का मामला हैं.... तुझे बीच में पड़ने की जरूरत नहीं हैं... तु जा... तुझे देर हो रहीं होगी...।
ओ.... हैलो.... तु मेरी सिर्फ मम्मा नहीं हैं.... पता हैं ना.... मेरी सबसे करीबी दोस्त भी हैं... ओर दोस्ती में कुछ भी एक दूसरे से छिपाया नहीं जाता...। चल अभी ज्यादा भाव मत खा जल्दी बता बात क्या हैं...।
कान्ता कुछ बोलतीं इससे पहले रुही की नजर उसके दूसरी तरफ के कान पर गई....। कान पर एक गहरा जख्म था...। जैसे किसी ने वहाँ जोर से काटा हो...। रुही को समझते देर नही लगी की क्या हुआ होगा....।
रुही :- कैसे झेल लेती हो मम्मा.... ऐसे राक्षस को....। तुझे क्या लगता हैं मुझे कुछ समझ नहीं आता...। रात को आवाज सुनी थीं मैने भी डैडी के तुझपर चिल्लाने की.... समझ तो नहीं सकी... लेकिन अगर किसी बात से इतना ही गुस्सा थें तो फिर ये सब क्या हैं... (कान की तरफ़ इशारा करते हुए) गुस्से में ऐसा कौन करता हैं...। मम्मा मैं बच्ची नहीं हूँ.... सब समझतीं हूँ.... वो सिर्फ ओर सिर्फ तेरे साथ जबरदस्ती करने के लिए घर आतें हैं....। लेकिन तु हर बार घुटने क्यूँ टेक देतीं हैं...!
वो तु नही समझेगी....। अभी इन सब बातों को छोड़ ओर तु जा कालेज....।
एक मिनट मम्मा.... (रुही फर्स्ट ऐड बाक्स लेकर आई) .... चलीं जाऊंगी.... पहले इधर बैठ... (कुर्सी पर बिठाते हुवे) ....।
रुही ने बाक्स में से रुई और दवाई निकाल कर कान्ता के घाव पर लगाया...।
थोड़ी जलन होगी पर ठीक हो जाएगी....। अभी तु सब काम छोड़ ओर ये दर्द निवारक टेबलेट लेकर थोड़ा आराम कर ले....ओर हां मेरे लिए खाना मत बनाना और तेरे लिए भी मत बनाना.... मैं कालेज से आते वक्त बाहर से लेती हुई आऊंगी....। थोड़ी देर आराम कर फिर सिर्फ डैड के लिए बना देना थोड़ा बहुत...। बाकी सारा काम भी मैं वापस आकर कर लूंगी..... समझी जानेमन...।
कान्ता मुस्कुराती हुवे:- हां समझी माय लव...। चल तु अभी जा...।
ओके माय लव....। रुही ने कान्ता को किस किया ओर मुस्कुराते हुए वहाँ से चलीं गई...।
वर्तमान समय.....
वो सब याद करते करते कांता की नजर बेसुध सी पड़ी हुई रुही पर गई और मन ही मन सोचने लगी..... मुझे क्या पता था बेटा.... वो तेरी आखिरी मुस्कुराहट थीं....।
आखिर ऐसा क्या हुआ था जिसने रुही की ये हालत कर दी थीं...।
कौनसा दोहरा आघात मिला था कान्ता को जानते हैं अगले भाग में..।
shweta soni
08-Aug-2022 01:18 PM
Behtarin bhag 👌
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Raziya bano
28-Jul-2022 10:32 AM
Nice
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Diya Jethwani
28-Jul-2022 05:16 PM
Thank you ji
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Gunjan Kamal
28-Jul-2022 09:28 AM
शानदार भाग
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Diya Jethwani
28-Jul-2022 05:16 PM
Thank you ji
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